एक पति, एक प्रियतम - Ek Pati Ak Priytam
बात आज से करीब दो साल पहले की है, मैं अपने चाचा के यहाँ पर पढ़ाई करने के लिए गया हुआ था ! तब मैं सेक्स के बारे में ज्यादा नहीं जानता था। मुझे यह तो पता था कि सेक्स करते हैं पर कैसे करते हैं, मैं नहीं जानता था !
मेरे चाची की एक भतीजी थी जो देखने में बहुत ही सुंदर थी। वो इतनी सुंदर थी कि मानो कोई परी हो ! मैं जब भी उसे देखता तो सोचता कि काश यह मेरी गर्ल-फ्रेंड होती तो कितना अच्छा होता ! देखते ही देखते वो और बड़ी हो गई और मैं भी बड़ा हो गया और अब मैं सब समझने लग गया था क्योंकि मेरी उम्र 21 साल की हो गई थी और वो मुझसे बड़ी थी इसलिए उसकी उम्र 23 साल हो गई थी। समय के साथ-साथ उसका फीगर और भी ज्यादा सेक्सी हो गया था, उसकी चूची इतनी बड़ी हो गई थी कि जैसे दो मोसम्म्बी हों रस से भरी हुई ! और उसकी गांड तो इतनी सुन्दर लग रही थी कि जो भी देखे बस यही सोचने लगे कि बस एक बार इसे मसल दूँ ! उसे देखकर कोई भी उसे मन में ही चोद दे इतनी सुन्दर थी वो !
समय बीतता चला गया। फ़िर एक बार हुआ यूँ कि हमारे घर पर एक कार्यक्रम था जिसमें सभी को बुलाया था, सो वह भी आई थी। उसे देखकर मैं तो जैसे ख़ुशी के मारे पागल ही हो गया था। मैंने बिना कुछ सोचे समझे बस उसका हाथ पकड़ा और उसे अपने कमरे में ले गया ! हम दोनों बचपन से ही खूब बाते करते थे इसलिए किसी ने कुछ नहीं कहा ! फ़िर मैंने उससे उसके हाल चाल पूछे और इधर की ढेर सारी बात करी लेकिन मेरे मन में तो कुछ और ही चल रहा था सो मैंने उससे पूछ लिया कि इतनी बड़ी हो गई हो, कोई दोस्त बनाया या नहीं?
तो उसने नहीं में जवाब दिया। मुझे यह सुनकर और भी ख़ुशी हुई और मैंने उसे एक आँख मार दी तो उसने कहा- तेरा इरादा कुछ ठीक नहीं लग रहा है ?
फिर मैंने उसे कहा- मैं तुझे बहुत चाहता हूँ और बहुत पसंद करता हूँ। लेकिन तुझे मैं कैसा लगता हूँ? क्या तू मुझे पसंद करती है?
तो उसने कुछ जवाब नहीं दिया और बस मेरी तरफ आँख मार के चली गई ! फ़िर मैंने उससे थोड़ी देर बाद यही पूछा तो कहने लगी- तू यह सब क्यों पूछ रहा है? तू मुझे अच्छा लगता है और इसीलिये ही मैं तुझसे बात करती हूँ।
तो फिर मैंने उसे "आई लव यू" कह दिया और उसके गाल पर एक चुम्मा जड़ दिया। जवाब में उसने भी चुम्मा दे दिया। फ़िर हम दोनों कमरे से बाहर आ गए और वो अन्य लोगों से बातें करने लग गई और मैं घर के काम में लग गया।
फ़िर जब शाम हुई तो मैंने उसको अपने कमरे में आने का इशारा किया। जब वो कमरे में आई तो मैंने उसे जोर से पकड़ लिया और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये और उसके होठों का रस पीने लगा।
क्या होंठ थे ! उसके एकदम शहद से भरे !
मैंने उसके अधर इतनी जोर से चूसे कि वो गुलाबी से लाल हो गए।
और फ़िर वो भाग गई बाहर !
उसके बाद अगले दिन वो जब भी मुझे देखती अपने होठों को काटने लगती। फ़िर शाम हो गई और घर पर कार्यक्रम चालू हो गया। सभी लोग बाहर थे, मैं भी बाहर था लेकिन घर का सारा काम मुझे ही करना था इसलिए मैं घर के अंदर गया और उसे भी इशारा कर दिया। फ़िर हम दोनों घर में अकेले ही रह गए और हमने खूब चूमा-चाटी की। फ़िर मैंने अपना एक हाथ उसकी चूची पर रख दिया, जिससे वो सिहर गई और मेरा हाथ हटाने लगी। तब मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसकी दूसरी चूची पर भी हाथ रख दिया।
वो उत्तेजित हो गई और अपने होठों को काटने लगी और मुझसे कहने लगी- मैं पागल हो जाऊँगी, मुझसे अब रहा नहीं जाता ! तू मुझे बस मसल दे यार ! ऐसे से ही करता रह !
मैं भी उसकी चूचियों को मसल रहा था प्यार से !
फ़िर मैंने देखा कि वो अब गरम हो गई है तो मैंने उसकी कमीज को ऊपर करके अंदर से हाथ डाल दिया और उसके स्तन मसलने लगा। फ़िर मैंने उसके होठों से अपने मुँह को हटाया और उसकी चूची पर लगा दिया और जोर से चूसने लगा।
इतने में मेरी चाची भी घर में आ गई और हम दोनों अलग हो गए। मैं कुछ सामान लेने का नाटक करने लगा और हम दोनों बाहर आ गए।
जब रात हुई तो मैंने उसे कहा कि वो मेरे कमरे में ही सो जाये तो इस पर वो नहीं मानी और मैं रात भर सो नहीं सका और उसके ही बारे में सोचता रहा, सुबह होने का इंतजार करने लगा।
जब वो सुबह दिखी तो मैं तो उसे देखता ही रह गया, उसने काले रंग का सूट पहना था और उसमें वो एक दम माल लग रही थी। उसने मुझे देखा और एक आंख मार के चली गई रसोई में। मैंने उसे अपने पास आने का इशारा किया और वो जल्दी से आ गई। उसके आते ही मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा। फ़िर वो वापस चली गई और जब हम दोपहर को मिले तब मैंने फ़िर से उसके स्तन दबाये और खूब मसला, चूसा और उसके चुचूकों को सुर्ख लाल कर दिया। वो भी सेक्सी आवाज़ें निकालने लगी- आहह ह ह ह उ उ उह उह हा हा हाहा जोर से और और पीलो.....बस स स छोड़ दो ओ.ओ. जाने दो.. फ़िर मैंने उसे छोड़ दिया और रात को मिलने की योजना बनाई।
रात हुई तो वो अपनी नाइटी पहन कर रात के करीब दो बजे मेरे कमरे में आई, मुझे जगाया। मैंने अपने कमरे के दरवाजे को अटका दिया और उसे अपनी बाहों के आगोश में ले लिया वो भी बिना कुछ बोले मुझसे लिपट गई और मुझे चूमने लगी। थोड़ी देर रुक कर वो रोने लगी और कहने लगी- अब हम नहीं मिल सकेंगे क्योंकि मैं कल जा रही हूँ अपने घर ! और कहने लगी कि आज की रात ही है हमारे पास ! बस जो भी करना है कर लो जी भर कर !
तो मैंने भी उसे कहा- जानू, ऐसा मत कहो ! तुम तो हमेशा मेरे साथ ही रहोगी मेरे दिल में बसकर !
और वो फ़िर से हंसने लगी और मुझसे लिपट गई, मुझे चूमने लगी और कहने लगी- ओह मेरे राहुल ! मैं तुम्हें कभी भुला नहीं पाऊँगी, मैं जब तक जीयूँगी तुम्हारी ही रहूंगी ! मेरे तन-मन-धन पर अब सिर्फ तुम्हारा ही अधिकार होगा ! मैं किसी और की नहीं हो सकती हूँ !
और फ़िर से उसकी आँखों से मोती बहने लगे। मैंने भी उन मोतियों को अपनी जबान से पी लिया और हम फ़िर चूमा-चाटी करने लग गए। उसने मेरी जबान को पूरा चूस लिया और मैंने भी ! फ़िर मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा वो सीहरने और कराहने लगी- मसल दो आज इन्हें ! चूस लो ! सारा रस निकाल दो इनका !
और मैंने अपना हाथ धीरे धीरे नीचे सरकाना चालू किया। मैंने उसकी नाभि पर जैसे ही अपनी जबान लगाई, वो सिमटने लगी और उसकी साँसें चढ़ने लगी। वो जोर जोर से साँस लेने लगी, वो इतनी गरम हो गई थी कि अपना हाथ खुद ही योनि पर फेरने लगी।
मैंने भी अब देर न करते हुए उसकी कुर्ती को ऊपर उठाया और अब उसे पूरा ही निकाल दिया। फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और उसकी सलवार को उतारने लगा। लेकिन जैसे ही सलवार उतारने लगा, मुझे कुछ आवाज़ सुनाई दी। मैंने बाहर देखा तो मेरे चाचा बाथरूम करने के लिए उठे थे।
इतने में जानू भी डर गई और जल्दी से अपने कपड़े पहनने लगी। फिर जब चाचा चले गए तो मैंने वापस उसके कपड़े निकाले और उसके ऊपर लेट कर उसे चूमने लगा। वो थोड़ा नार्मल हुई और हम फिर हमारे काम में जुट गए। मैंने उसकी पैंटी जो गुलाबी रंग की थी, वो उसके ऊपर इतनी अच्छी लग रही थी कि क्या बताऊँ ! उसको जैसे ही मैंने उतारा, मेरे सामने जन्नत का द्वार खुल गया था। क्या चूत थी उसकी ! एकदम गुलाबी ! जैसे गुलाब की पंखुड़ियों को शहद के रस में भिगोया हो !वो इतनी गरम हो चुकी थी कि उसकी योनि से रस टपक रहा था और जांघे गीली हो गई थी। मैंने भी जबान से उस अमृत को पूरा चाट कर साफ़ कर दिया। वो इतने में ही पहली बार स्खलित हो गई। मैंने उसके योनि-अमृत को पूरा पी लिया फिर उसकी योनि के अंदर एक ऊँगली धीरे धीरे घुमाना चालू किया। वो आवाजें निकालने लगी तो मैंने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए। उसने मेरे होठों को काट लिया।
फिर मैंने उसे अपना लोअर उतारने को कहा तो वो शरमाने लगी। मैंने भी उसका हाथ पकड़ा और उसी के हाथों से अपना लोअर निकलवाया। फिर उससे ही चड्डी भी उतरवाई और उसने जैसे ही मेरे लण्ड को छुआ मेरे तो जैसे रोंगटे ही खड़े हो गए। मेरे पूरे जिस्म में एक आग लग गई और मैं उसे बेतहाशा चूमने लगा। फिर मैंने उसके योनि-द्वार को चूसकर थोड़ा नरम किया और फिर उस पर अपने लण्ड का शीर्ष-भाग रखा और जोर लगाने लगा। लेकिन जानू की चूत इतनी टाइट थी कि उसमें घुसने की बजाए लण्ड फिसल जाता।
फिर मैंने थोड़ा तेल लिया और उसकी योनि में लगाने लगा। वो भी आहें भरने लगी। फिर मैंने एक बार और कोशिश की तो इस बार तेल के कारण मेरे लण्ड जो छः इंच का है, करीब दो इंच तक अंदर चला गया और उसकी चीख निकल गई। लेकिन किसी के सुन लेने के डर से उसने अपनी चीख को दबा लिया। मैंने अपने लण्ड पर कुछ तरल पदार्थ महसूस किया, हाथ लगाकर देखा तो वो खून था जो उसकी योनि से निकल रहा था। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसकी आँखों से आंसू निकल रहे थे। मैंने फिर उसे चोदना रोककर उसके स्तन सहलाए और उसे चूमने लगा। वो जब थोड़ी नार्मल हुई तब मैंने फिर से एक झटका लगाया और करीब चार इन्च तक लण्ड अन्दर चला गया। वो फिर से चीख पड़ी। मैंने भी थोड़ा रुक कर फिर एक धक्का लगाया और पूरा लण्ड पेल दिया उसकी चूत में !
अब वो थोड़ा नार्मल हो चुकी थी और फिर मैंने धक्के तेज करना चालू कर दिया जिससे उसके मुँह से चीखें निकलने लगी और वो आवाजें करनेलगी- आ.. अ.सी.. आ .सी..स. सी.. हा.. हा. ह . ह . ह . नि.. नी.. अह..आह ...आह..
मुझे भी मज़ा आने लगा और हम दोनों चरम सीमा पर पहुँचने लगे। वो अब तक एक बार झड़ चुकी थी और अब फिर स्खलित होने वाली थी। वो कहने लगी- मैं जाने वाली हूँ !
मैंने भी कहा- मैं भी जाने वाला हूँ !
और हम दोनों ही एक साथ झड़ गए और मैंने अपना सारा रस उसकी चूत की गहराइयों में डाल दिया। हम दोनों का रस उसकी चूत से निकलने लगा, मैंने उसे साफ किया और उससे कहा- क्या एक बार और हो जाए?
तो उसने भी शरमाते हुए हामी भरी और हमने एक बार फिर चुदाई की। इस बार उसे पहले ज्यादा मज़ा आया और करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद हम फिर से झड़ गए। इतने में सुबह के पाँच बज गए और अगली सुबह वो उसके घर वालों के साथ उसके घर रतलाम चली गई। मैं उसकी प्यास में तड़पता रह गया। लेकिन हम दोनों फ़ोन पर खूब बातें करते और मज़ा लेते।
छः महीनों के बाद उसने कहा कि उसके घरवालों ने उसकी शादी कहीं राजस्थान में तय कर दी है, कुछ ही दिनों में उसकी शादी होने वाली है। और वो जोर जोर से रोने लगी, कहने लगी- राहुल मैं तुम्हारे अलावा और किसी की नहीं हो सकती हूँ, मेरे शरीर और आत्मा पर सिर्फ तुम्हारा ही अधिकार है।
उसकी इस बात से मेरी भी पलकें नम हो गई और फिर खबर आई कि उसकी शादी होने वाली है, उसमें मुझे भी जाना है।
फिर देखते ही देखते उसकी शादी हो गई और आज उसकी शादी को तीन साल हो गए हैं लेकिन मैंने कभी उसके बारे में तलाश नहीं की और मैं एक बार फिर प्यासा ही अपनी जिंदगी बिता रहा हूँ!
दोस्तो, कैसी लगी मेरी यह सच्ची कहानी?
मुझे मेल करके जरुर बताना !
भरी जवानी में मैं अपनी क्लास के एक सुन्दर से लड़के से प्यार कर बैठी। झिझक तो खुलते खुलते ही खुलती है। पहले तो हम क्लास में ही चुपके से प्रेम-पत्र का आदान प्रदान करते रहे। एक दिन प्रतीक ने मुझे वहाँ के एक गार्डन में शाम को बुलाया। मैं असमंजस में थी कि जाऊं अथवा ना जाऊं। फिर सोचा कि इसमें डरने की क्या बात है ... वहाँ तो और लोग भी होंगे। पर किसी ने पहचान लिया तो फिर ... ? चलो मुँह पर कपड़ा बांध लेंगे।
मैंने हिम्मत की और शाम को बगीचे में पहुंच गई। वो मोटर साईकल स्टेण्ड पर ही मेरा इन्तज़ार कर रहा था। हम दोनों उस शाम को बहुत देर तक घूमे। खूब बातें की, पर प्यार की नहीं, बस यूँ ही इधर उधर की। मेरा डर मन से निकलता गया और अब मुझे उसके साथ घूमना-फ़िरना अच्छा लगने लगा। धीरे धीरे हम प्यार की बातें भी करने लगे।
पहले तो मुझे बहुत शरम आती थी, पर मैं अपना चेहरा हाथों से छिपा कर बहुत कुछ कह जाती थी। वो एक बहुत ही शरीफ़ लडका था, उसने मुझे अकेला पा कर भी कोई भी अश्लील हरकत नहीं की। पर मुझे यह अजीब लगता था। मेरी मन की इच्छा तो यह थी कि हम दोनों अकेले में एक दूसरे के यौन-अंगों से छेड़छाड़ करें, कुछ रूमानी माहौल में जाये। कुछ ऐसा करें कि मन की आग और भड़क जाये ...
यानि ... यानि ...
एक दिन मैंने ही पहल कर दी। एकान्त पा कर मैंने अपना चेहरा हाथों में छिपा कर कह ही दिया,"प्रतीक ... एक बात कहूँ ... ?"
"हां अंजली ... कहो ...!"
"बस एक बार ... एक बार ... यानि कि ... " मैं नहीं कह पाई। पर दिल ने सब कुछ समझ लिया। उसने चेहरे पर से हाथ हटाया और मेरे होंठों को चूम लिया।
"हाय ... और करो ना ... !"
उसने ज्योंही मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे, मैंने जोर से उसे भींच लिया और बेतहाशा चूमने लगी। प्रतीक ने मेरे बालों में हाथ डाल कर सहला दिया। मेरी गुलाबी आंखें उस एकटक निहारने लगी। मेरी नजरें स्वतः ही झुक गई।
इसी तरह एक दिन मैंने उसके हाथों को मेरे सीने पर रख कर स्तनों को दबाने को कह दिया।
उसने बड़े ही प्यार से मेरे स्तन सहलाये और दाबे ... । अब मुझे प्यार में सेक्स का भी मजा आने लगा था। फिर वो घड़ी भी आई जब मैंने उसका हाथ मेरा कुर्ता ऊपर करके अपनी चूत पर रख दिया। वो उसे सहला कर मेरे नक्शे का जायजा लेने लगा। मेरी गीली चूत का भी उसे अहसास हो गया।
मैंने भी हिम्मत करके उसका लण्ड पकड़ लिया और सहलाने लगी।
अब अधिकतर यही होने लगा था कि हम किसी कोने या अंधेरी जगह को तलाशते और एक दूसरे के अंगों के साथ खेलते और वासना में लिप्त हो जाते।
एक दिन प्रतीक ने मुझसे चुदवाने को कहा। मैं डर गई, मुझे तो इसी खेल में मजा आने लगा था। पर चुदना, मतलब उसके लण्ड को मेरी चूत में घुसवाना पड़ेगा। जाने क्या होगा ... ? मैं उसे टालती रही। यूँ हम सालभर तक ऐसे ही वासना भरा, अंगों की छेड़छाड़ का खेल खेलते रहे। हां अब हम कभी कभी अपना यौवन रस भी निकालने लगे थे। उसका तो वीर्य भी ढेर सारा निकलता था। उसका लण्ड वास्तव में मोटा था। उसका सुपाड़ा भी मैंने देख लिया था, बड़ा सा फ़ूला हुआ लाल टमाटर जैसा था, पर उस समय वो उत्तेजित था।
यूँ ही करते करते मेरी शादी भी पक्की हो गई। शादी का समय भी आ गया और फिर देखते ही देखते शादी भी हो गई। हम दोनों इस बार बहुत ही फ़ूट फ़ूट कर रोये थे। हम में भाग कर शादी करने की भी हिम्मत नहीं थी। हमारी कसमें, वादे सभी कुछ किताबी बातें बन कर रह गये थे। तारे तोड़ कर लाना बस मुहावरा बन कर ही रह गया था।
मेरे पति बंसी लाल की एक बड़ी दुकान थी, जो बहुत अच्छी चलती थी। वो अधिकतर दिल्ली या कलकत्ता आता जाता रहता था। मेरे लिये बहुत सी चीज़ें लाया करता था। मुझे वो बहुत प्यार करता था। चुदाई भी बहुत बढ़िया करता था। हां, गालियां वगैरह नहीं देता था। जब भी बंसी लाल शहर से बाहर जाता तो मैं प्रतीक के कमरे पर चली जाती थी।
उन दिनों मेरी जिन्दगी रंगो से भरी हुई थी। मुझे सब कुछ सुहाना और सुन्दर सा लगता था। मेरा मन खिला खिला सा रहता था। मेरा पति मुझे बहुत प्यार करता था और मेरा प्रेमी मुझ पर अब भी जान छिड़कता था। दोनों ही मुझे बहुत खुश रखते थे। आज भी मैं अपनी स्कूटी से प्रतीक के घर आ गई थी। प्रतीक हमेशा की तरह अपनी पढ़ाई में लगा था। मुझे देखते ही वो खुश हो गया और मुझे अपने आलिंगन में जकड़ लिया। सदा की तरह उसका लण्ड खड़ा हो गया और मेरी गाण्ड की दरार में घुसने लगा। मुझे बस रंगीनियाँ ही रंगीनियाँ नजर आने लगी।
कुछ देर तक तो हम चूमा-चाटी करते रहे ... फिर मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और सहलाने लगी। आज उसने अपना पजामा उतार दिया और अपना नंगा लण्ड मेरे हाथों में थमा दिया। उसका मोटा लण्ड मेरे दिल में पहले ही बसा हुआ था, सो उसे मैंने हौले हौले रगड़ना चालू कर दिया। उसने भी आज पहली बार मेरी साड़ी उतार दी और हाथ ब्लाऊज में घुसा दिया। मुझे इस से थोड़ी तकलीफ़ हुई फिर मैंने उसका हाथ हटा दिया।
"ऐसे मत करो, लगती है ... बस अब मैं चलती हूँ !"
पर प्रतीक ने मेरी एक ना सुनी। उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया।
"ये मत करो, पति के अलावा दूसरा कोई नहीं ... !!" मैं कुछ आगे कहती, प्रतीक ने चुप करा दिया,"मैं दूसरा नहीं हूँ, मैं तुम्हें प्यार करता हूँ, आज मुझे सब करने दो ... "
"नहीं प्रतीक, बस ऊपर ही ऊपर से कर लो ... "
"प्लीज बस एक बार चुदा लो ... देखो मैं तो तुमसे कब से प्यार करता हूँ, मेरी कसम है तुम्हें ... देखो तुमने मेरा क्या हाल कर दिया है ... प्लीज अंजली ... "
उसका यह हाल देख कर मुझे भी ठीक नहीं लगा। सोचा किसको पता मालूम चलेगा, सच है ये कब से तड़प रहा है ... मैं पिघलने लगी। मैंने अपनी साड़ी ऊंची कर ली।
"तुम्हारी कसम अंजली ... तुमने तो आज मेरा दिल जीत लिया ... " और वो मुझ पर झुक गया, मुझे प्यार से चूमने लगा, उसका लण्ड मेरी चूत में घुसने लगा। मुझे लगा उसका लण्ड मेरे पति से बहुत मोटा है ... कसता हुआ सा भीतर जाने लगा।
आनन्द से मेरी आंखें बंद होने लगी। उसने धीरे धीरे अपना लण्ड मेरी चूत में पूरा उतार ही दिया। दूसरा लण्ड, नया लण्ड ... अलग ही आनन्द दे रहा था। मैंने प्यार से प्रतीक को देखा और अपनी ओर खींच लिया।
"प्रतीक ... बहुत मजा आ रहा है ... अब तक क्यों नहीं चोदा तुमने !"
"तुम ही दूर रही मुझसे ... तुम तो मेरी जान हो ... आह्ह्ह ... !"
वो मेरे से प्यार से लिपट गया और उसके चूतड़ मेरी चूत के ऊपर भचाभच चलने लगे। मैं भी उसे प्यार से चूमने चाटने लगी। मैं अब पलट कर उसके ऊपर आ गई और उसके लण्ड पर बैठ कर चुदने लगी। उत्तेजना के मारे मेरा बुरा हाल था।
उसका लण्ड मेरी चूत को मस्ती से चोद रहा था। कितनी खुशी लग रही थी मुझे।
उसका मोटा लण्ड मेरी योनि में अब भी कसता हुआ आ जा रहा था। मीठी सी गुदगुदी तेज हो गई। मुझे लगा कि मैं चरम बिन्दु तक पहुंच गई हूँ और अब मुझे नहीं सहा जायेगा। तभी मेरा रज छूट गया। प्रतीक ने झट से पोज बदला और मुझे घोड़ी बना दिया और देखते ही देखते उसका लण्ड मेरी गाण्ड में फ़ंस चुका था। मेरी गाण्ड खासी चिकनी थी और खुली हुई थी। उसने लण्ड को भीतर घुसा दिया और आगे पीछे करने लगा। मुझे फिर से आनन्द आने लगा। उसका ये सब इतने प्यार से करना मुझे बहुत पसन्द आया। उसका तरीका इतना अच्छा था कि कोई एक बार चुद जाये तो बार बार लण्ड खाने की इच्छा हो !
मैंने उसे कहा,"प्रतीक, एक बार और मेरी चूत चोद डालो, प्लीज !"
उसने जल्दी से लण्ड बाहर निकाल कर चूत में घुसेड़ दिया। मुझे फिर से असीम आनन्द की दुनिया में पहुँचा दिया। सच में कुतिया के पोज में ज्यादा मस्त चुद रही थी। धक्के अन्दर तक ठोक रहे थे। मधुर चुदाई ने फिर रंग दिखाया और मैं फिर से झड़ने के कगार पर थी। मस्त चूत की उसने जम कर ठुकाई की उसने और मेरा रस फिर से चू पड़ा। तभी उसका वीर्य भी निकल पड़ा। मेरी चूत उसके वीर्य से लबालब भर गई और फिर उसका लण्ड सिकुड़ कर बाहर आता प्रतीत हुआ।
उसने जल्दी से अपनी कमीज को मेरी चूत पर लगा दिया और उसे साफ़ करने लगा।
मैने पीछे मुड़ कर उसे प्यार से देखा। वो बड़े अच्छे तरीके से मेरी चूत को साफ़ करने में लगा था।
"प्रतीक, तुमने मुझे ये सुख पहले क्यों नहीं दिया ... ?"
"यह तो सब समय की बात है, तुमने मुझे हाथ लगाने दिया तो मेरी किस्मत खुल गई।"
"हाय राम, अपन इतने दिनों तक बेकार ही यूँ ही मसला-मसली करते रहे, चुदाई कर लेते तो कितना आनन्द आता ... ! है ना ?... अपन तो अपने आप को वासना की आग में जलाते रहे ... मुठ मारते रहे ... प्रतीक, साले तुमने मुझे जबरदस्ती क्यों नहीं चोद दिया?"
"मैं तुम्हें प्यार करता हूँ ... कोई जानवर तो नहीं हूँ ... "
"कसम खाओ, अब रोज ही ये सब करेंगे ... तुम्हारा लण्ड मुझे बहुत ही अच्छा लगा !"
"बस जान लो ... आज से ये लण्ड तुम्हारा ही है।"
हम दोनों एक बार फिर से लिपट गये और अब मुझे चोदने वाला पति के अलावा प्रतीक भी था। एक बार फिर से हमने मरने जीने की कसमे खाने लगे, चांद तारे तोड़ कर लाने की बातें करने लगे ... मरने जीने की कसमें खाने लगे ... आह्ह्ह्ह्ह ... ...
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मेरी अगली कहानी में आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने मेरी दूसरी गर्ल फ्रेंड सोनू को कैसे चोदा !
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